सु बह की प् या री धू प और हवा ओं में है नमी चा य की चु स् की ले
लो, न रहे को ई कमी ता ज़गी ऐसी जो जगा दे, मन में खु शि याँ घो ले
वि द् यां जलि के सं ग ही अब, सु हा नी सु बह हो ले। प् ले ट में सजा
है पो हा, खि ला -खि ला और नरम स् वा द ऐसा जो ले आए, रि श् तों में
भी धरम माँ के हा थों जै सा जा दू, हर दा ने में है बसा से हत और
स् वा द का, ये सं गम है रचा। (Chorus) शु द् धता है वचन हमा रा, स्
वा द है पहचा न हर घर की रसो ई में, अब इसकी है शा न वि द् यां
जलि...
वि द् यां जलि...
स् वा द में सच, रि श् तों में जा न। वि द् यां जलि...
वि द् यां जलि... (
Verse 2) त् यौ हा र हो या को ई जश् न, खु शबू उड़े जब घर में बे सन
के लड् डू, पकौ ड़े, छा जा एं हर दि ल में परं परा वही पु रा नी, बस अं
दा ज़ है नया शु द् धता के रं ग में दे खो, हर एक पल है रं गा। था
ली सजे जब प् या र से, अधू रा है वो सा थ कु रकु रे पा पड़ बि ना, न
बने खा ने की बा त चटपटा वो क् रं च, जो बढ़ा दे भू ख को खु श कर
दे जो पल में, हर एक रू खे मु ख को। (Bridge) मि ला वट से को सों
दू र, वि श् वा स की ये डो र है खा ने की मे ज़ पर अब, बस इसी का शो
र है। एक बा र जो चख ले, वो दी वा ना हो जा ए शु द् धता की ये कहा
नी, सब के मन को भा ए। (Chorus) शु द् धता है वचन हमा रा, स् वा द
है पहचा न हर घर की रसो ई में, अब इसकी है शा न वि द् यां जलि...
वि द् यां जलि...
स् वा द में सच, रि श् तों में जा न। वि द् यां जलि...
वि द् यां जलि... (
Outro) प् या र परो सो...
वि
द् यां जलि...